झीलों का शहर,नैनीताल कुमाऊं के द्वार हल्द्वानी से यही कुछ 34 किलोमीटर दूर ,जिसे 1841 में पी० बैरन ने खोजा था ।
मुझे एक साल नैनीताल में रहने का अवसर मिला और ये एक साल बहुत खूबसूरत था ,इस शहर से मुझे बहुत अपनापन मिला और मिली ढेर सारी यादें और आज मैं उन्हीं यादों का पिटारा खोलने जा रही हूँ।
यहाँ सुबह ,कभी गीली सी ,कभी बर्फ की चादर से ढकी और कभी सुनहरी धूप में नहायी हुई मिलेगी और ठण्ड का एहसास यहाँ बारोमास (बारह महीने ) रहता है ।
यहाँ मौसम का अंदाज़ा लगाना बहुत मुश्किल है ,क्योंकि सुबह अगर धूप निकली है तो दिन में कभी भी बारिश हो सकती है और जाड़ों की सुबह में आपको कभी भी बर्फ गिरी हुई दिखाई सकती है इसलिए जब भी नैनीताल जाये एक एक्स्ट्रा स्वेटर ज़रूर ले जाये ,शायद इसीलिए ठण्ड पड़ने पर झील कोहरे की चादर ओढ़ लेती है |
सबसे सुन्दर और मन को ख़ुशी से भरने वाला सफर है माल रोड का सफर ,तल्ली ताल से मल्ली ताल और यहाँ आपको मिलेंगे बहुत सारे सैलानी जो हर मौसम यहाँ आते हैं |
चलते हैं अब तल्लीताल ,तल्ली ताल में बस स्टैंड भी है और वहाँ से कुछ आगे आपको मिलेगी नीरूज की बन टिक्की ,और उससे थोड़ा आगे जाने पर आपको मिलेगी लोटिया वाले की जलेबी और दोनों ही बहुत स्वादिष्ट होती हैं और तल्ली ताल से आगे जब आप मल्ली के लिए रास्ता पकड़ते हैं तो आपको अपने साथ चलती हुई झील मिलेगी और मिलेंगी बहुत सी दुकानें ,आप ठंडी सड़क से भी जा सकते हैं जो एक दम स्वर्ग जैसा रास्ता हैं ,यहाँ पर मिलेगा आपको पाषाण देवी मंदिर और यहाँ पर आपको मंदिर की दीवारों पर दिया जलता मिलगा ,जिसे यहाँ के स्थानीय का मानना हैं कि ये सुरंग वैष्णो देवी पहुँचती हैं ,और आगे बढ़ने पर आपको ठंडी सड़क में किनारे छोटे छोटे पार्क मिलेंगे ,और वहाँ से आप पहुंचेंगे फ्लैट्स में ,जहाँ पर सबसे पहले आप नैना देवी मंदिर में माथा टेक आये फिर आगे बढ़े और आगे बढ़ने पर बहुत सी दुकानें हैं ,खिलौनों की ,कपड़ों की और सबसे ज़रूरी यहाँ पर हैं फेमस चाइनाटाउन की दुकान ,जहाँ के मोमो ,थुप्पा ,चाऊमीन का कोई जवाब नहीं हैं और भी बहुत कुछ हैं यहाँ के मेनू में और यहाँ पर आपको आसानी से जगह नहीं मिलेगी क्योंकि यहाँ बहुत भीड़ होती हैं पर इसके लिए भी एक सीक्रेट ट्रिक हैं जो मैंने यहाँ रहकर यहाँ के स्थानीय लोगो के साथ रहकर सीख ली पर मैं ये आपको नहीं बताने वाली और यहाँ का सर्विस स्टाफ बहुत अच्छा है ये आपको मोमो और ड्राई थुप्पा के साथ भी सूप दे देते है जो मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात है ।
आगे आपको आइसक्रीम की दुकान और फिर आगे बढ़ते हुए आप पहुंचेंगे एक पार्क जैसी जगह जहाँ पर सब लोग झील का आनंद लेने के लिए जाते हैं और यहीं पर आपको मिलेंगे शायरी गा कर पान खिलाते महाशय जो लोगो का ध्यान अपनी और खींच ही लेते हैं और मिलेंगे भुट्टे ,स्थानीय फल और अपनी दुकानों पर सामन बेचते लोग |
आपको यहाँ सब कुछ मिलेगा और बहुत सारी एथनिक चीज़े आपको दिखाई देंगी और आगे बढ़ने पर रिक्शा स्टैंड और रिक्शा स्टैंड के बारे में क्या कहूँ ,यहाँ भी बाकि सभी जगहों की तरह बहुत भीड़ होती हैं ,टिकट लेना बड़ा आसान लगता हैं पर रिक्शा का नंबर एक घंटे या दो घंटे में आता हैं और सबसे अच्छी बात ये हैं की आप शेयर कर के रिक्शा ले सकते हैं तो लाइन में लगे लगे एक दो दोस्त तो बन ही जाते हैं और अगर रिक्शा शेयरिंग में हैं तो फिर जान पहचान हो ही जाती हैं और यहाँ के लोग आपको बहुत जल्दी अपना बना लेंगे जैसे नैनीताल है वैसे ही यहाँ के लोग हैं बहुत अच्छे ।
पर अगर आप रिक्शा लेकर जाना चाहते हैं तो उससे पहले यहाँ की बाजार ज़रूर जाये और वहाँ शिवा के परांठे ज़रूर खाये ,बिल्कुल थाली के बराबर परांठे और साथ में आलू की सब्जी और अचार ,इतने अच्छे आलू के परांठे आप बिल्कुल भी मिस न करें और मालरोड में ही मचान भी है ,देखने में ये बहुत ही आकर्षक है पर मैं इसके अंदर कभी जा नहीं पायी पर जाउंगी ज़रूर जब भी अब नैनीताल जाना होगा।
सबसे ज़रूरी है यहाँ की खूसूरत झील में नाव का सफर , हरे पानी में नाव का सफर ,चारों और से पहाड़ों से घिरी झील और जो नाविक होते हैं वो आपको नाव से ही पूरे नैनीताल की जानकारी दे देते हैं |
माल रोड में घूमते हुए आपको बहुत सारी दुकानें मिलेंगी और सड़क के किनारे झील तो है ही आपके साथ ,अगर साथ न भी हो तो भी आप यहाँ अकेले घूम सकते हैं और बाजार से ऊपर अगर आप शेरवुड की तरफ जाए तो बाजार से शेरवुड का रास्ता बहुत ही खूबसूरत है और अगर आप अकेले खुद के साथ समय बिताना पसंद करते है तो इससे बेहतर जगह कहीं और नहीं ।
नैनीताल में ही कुमाऊं विश्वविद्यालय भी है ,जो सूखाताल में है और इस सूखाताल में पानी सिर्फ बारिश के दिनों में ही रहता है और इसके बारे में भ्रांतिया भी हैं ,जैसे कि यह बलि लेता है, डी० एस० बी० कैंपस तल्लीताल से ऊपर है और अगर आप कैंपस जा रहे हों तो तैयार रहिये क्योंकि बंदरों की सेना आपका स्वागत करने को तैयार खड़ी है ,यहाँ बन्दर और लंगूर बहुत पाए जाते हैं पर ये आपको कभी नुकसान नहीं पहुँचाते बस बंदरों के प्यारे बच्चे बहुत शैतान होते हैं ,ये आपका सामान लेकर भाग जाते है,तो इसलिए अपने सामान पर पकड़ बनाये रखें ।
नैनीताल में और भी बहुत सी जगह हैं घूमने के लिए ,जैसे की स्नो व्यू ,चाइना पीक या नैनी पीक ,चिड़ियाघर और भी बहुत कुछ|
मैं स्नोव्यू गयी हूँ ,जहाँ पैदल चलना ऐसा होता है जैसे किसी दीवार पर छिपकली चलती है तो इसलिए आप ट्राली से भी स्नो व्यू जा सकते हैं और वहां पर आप अलग अलग तरह के हुलिए में फोटो खिंचवा सकते हैं ,घुड़सवारी कर सकते हैं और बच्चों के लिए भी यहाँ ढेर सारे खिलौनों की व्यवस्था है बाकि दुकानों में सामन सब जगह लगभग एक सा ही है ।
मुझे नैनीताल में अभी और बहुत सी जगह घूमना है तो उनके बारे में मैं वहाँ जाके ही बता पाउंगी ।
यहाँ नंदा देवी का भव्य मेला लगता है ,और इस मेले का आनंद आप तभी उठा पाएंगे जब आप मेला घूमने जाएंगे ,तो सितम्बर अक्टूबर में नंदा देवी का मेला घूमने ज़रूर जाये ,आसान शब्दों में कहूँ तो बहुत मज़ा आता है मेला घूमने में और जब नंदा देवी का डोला उठता है तो बड़ा सूना सूना सा लगता है नैनीताल जैसे कोई अपना विदा हुआ हो ।
नैनीताल में मुझे मिले बहुत सारे अपने रिश्तेदार जिन्होंने मुझे कभी ये एहसास नहीं होने दिया कि मैं घर से बाहर हूँ और बहुत से प्यारे दोस्त और मुझे यहाँ फिर से एक बुबु मिले जो अब इस दुनियां में नहीं है पर बुबु से मिलना ऐसा था जैसे मेरे अपने बुबु(नानाजी) को दोबारा पाना क्योंकि मेरे बुबु तब इस दुनियां में नहीं थे ,और नैनीताल के बुबु हमेशा मेरी यादों में एक खूबसूरत एहसास बनके हमेशा ज़िंदा रहेंगे क्योंकि उनसे भी मुझे वहीं अपनापन मिला जो अपने बुबु से मिलता था ।
यहाँ अगर आप किराये में भी रहेंगे तो मकान मालिक भी आपको अपने बच्चों जैसा ही प्यार देते हैं।
ये था नैनीताल मेरी नज़रों से ,और हाँ जब सुबह आप आँखे खोलो और आपको यहाँ बहुत खूबसूरत झील का नज़ारा देखने को मिलेगा ,यहाँ की हर चीज़ आपको ख़ुशी और आश्चर्य से भर देती है ,इन्ही खूबसूरत नज़रों और उनकी यादों के साथ फिर मिलेंगे ।
पढ़ने के लिए धन्यवाद ।
Minku 💝.. Kya baat pura naintal ghuma diya.
🙂