किस्से तो बहुत है तेरे ऐ ज़िन्दगी ,शुरू तो धड़कनों से ही होते है , दो जोड़ी मासूम सी आँखों के सपने और कुछ खिलौने जो सबको एक जैसे नहीं देती है तू , माँ की गोदऔर उसी गोद में ही खो जाना , तूने जो थपेड़े दिए उस पर पतंग सा उड़ चलने वाला , जिस दुनियाँ से वो कुछ कदम पीछे था ,उसपर अपने इरादों से छा गया जो , तुझसे लड़ते लड़ते जो तुझ को फिर से हरा गया है वो, साँसे नहीं चलती हो अब पर दुनियाँ में अपनी जगह बना गया है वो।